Tuesday, 2 May 2017

सोचा ना था...

कोई इतनी दूर होकर भी इतना पास होगा ये सोचा ना था
कोई एक अपना भी इस दुनिया में ख़ास होगा ये सोचा ना था

तेरे होने से इस दिल को एक वजूद मिला है
ना चाहते हुए भी दिल में एक कमल खिला है

तेरी ही तेरी यादें बसती हैं यहाँ मेरे दिल में
तुझको ही तुझको ढूंढती हूँ हर महफ़िल में

तेरी मेरी यारी ये रंग लाएगी एसा सोचा ना था
मुझे कोई Valinetine विश कर दे ये होना ना था

तेरे होने से मेरी दुनिया ही रंगीन हो गयी
मेरी तान्हानियाँ ग़मगीन हो गयी

तनहा होकर भी अकेली कहाँ हूँ में
तू हरदम मेरे साथ होता है, मेरे दिल के पास होता है

ये समझाना ना मुमकिन है कि आज मेरा दिल क्या कह रहा है
बस ये समझ लीजिये बड़ी ही जोरो से धड़क रहा है

आप मिल गयें हैं मुझे तो सब कुछ मिल गया है
मेरी तनहा सी जिंदगी को एक साथी मिल गया है

तेरे सपनो को पूरा करने के लिए हद्दो से गुज़र जाऊँगी
तू चिंता ना करना, मर कर भी तेरी खुशियाँ ले आऊँगी....

Tuesday, 17 May 2016

तुम...

तुम हो तो ऐसा लगता है जीवन में आई बहार है
लगता है जैसे फूलों में भी मधुर गुंजार है

तुम्हारे होने से मेरे जीवन में भरे कई रंग है
मैं खुश हूँ की कोई मेरे भी संग है  

तुम्हारे होने से ही मेरा दिन बन जाता है
तुम नही होते तो दिन भी यूँ ही ढल जाता है

कैसे आये तुम मेरी जिंदगी में मुझे ये तो मुझको पता नही 
लेकिन जाने न दूंगी तुमको भले ही हो जाएँ मुझे खता कईं 

माना की तुम मुझसे अनजान हो 
लेकिन ये समझ लो मेरी जिंदगी में नही तुम कोई मेहमान हो 

जबसे तुम आये हो जिंदगी की बदल गयी तस्वीर है 
मानो कह रही हो देख ले यही तेरी तदबीर है 

मेरे संगीत में नयी रौनक लाये हो तुम
नही पता कौन हो, कहाँ से आये हो तुम 

क्या खुश हो जाऊं मैं की ये तुम ही हो जिसे उसने मेरे लिए ही चुना है 
जिसके धागों के साथ में मेरे दिल का ताना बाना बुना है

तुमसे बात हो जाती है तो सब कुछ अच्छा अच्छा लगता है
जो न हो पाती है बात तुमसे तो कुछ कम कम सा लगता है

जब में तुमसे तुम्हारे हाल चाल जानने के बाद बोखला सी जाती हूँ
तुम से दूर हूँ इसलिए तुम्हारी केयर नही कर पाती हूँ 

तुम को ही तुम को सोचा है , तुम्हारे ही लिए सोचना चाहती हूँ
की कह भी दोगे तुम मुझसे इक दिन , मैं ही तुम्हारी जीवन साथी हूँ

मैं तुम्हारे आँगन की बगियाँ में खुशियाँ ही खुशियाँ बाटूंगी
काटें जितने भी आयेंगे उन सब को भी मैं ही छाटूंगी 

जिस दिन मेरे दम से तुमको एक भी ख़ुशी नसीब हो जाएगी
मैं समझ लुंगी मेरी मेहनत आगे भी रंग लाएगी

Wednesday, 5 November 2014

बस यूँ ही...

बस यूँ ही आज मन हुआ कुछ लिखने का
किस्से कहानी गढ़ने का 

कितने दिन बीते कुछ लिखा नहीं 
मन को हल्का किया नहीं 

अब रोज ही किस्से होते हैं 
हर रोज कहानी बनती हैं 

राजा किसी और का होता है 
किसी और की रानी होती है 

हर रोज एक नया फ़लसफ़ा लिखा जाता जाता है
हर रोज नए मयखाने खुलते हैं

सवाल तो बस इतना है 
जब अंत नही तो शुरुआत है कैसी 

ना खेलो किसी के ज़ज्बातों से इतना की 
उसके सीने में कोई ज़ज्बात ना रहे 

Play with toys not with feelings

Thursday, 22 May 2014

Quotes

I m cute enough to make u look twice..
Sweet enough but not too NiCe..
Little CRAZY but not too WiLD..,
the kinda GiRl that wil make U SMILE 

Sunday, 2 March 2014

Main

कभी चंचल  शौख़  हसीना 
कभी करती सबको पसीना पसीना 

कभी चिड़िया चेहकी चेहकी  सी 
कभी गुडिया बेहकी बेहकी सी 

पल में सबको हँसाने वाली 
छट से कभी रुलाने वाली 

कभी समझदार सयानी सी 
कभी लगती गुड़िया रानी सी 

लड़ते-लड़ते हसने वाली 
हँसते हँसते खोने वाली 

सबसे घुलने-मिलने वाली 
अकेले मे भी खुश रहने वाली

एक दिन ससुराल को जाउंगी
वहाँ भी ख़ुशियाँ लुटाऊँगी 


Bachpan

बचपन भी कितना अच्छा था
जब मैं  छोटा सा बच्चा था

माँ बापू लाड लुटाते थे
सारे बच्चे खूब खिलाते थे

सब के साथ में खेला करते
इसे ही सबको पेला करते

बचपन कितना प्यारा था
सारा संसार ही न्यारा था

जब बच्चे थे तब चाह थी बड़े होने की
अब बड़े हो गये हैं तो बच्चे बनना चाहते हैं

ऐसा क्या जादू था उस बचपन में
परियां क्यूँ सच्ची लगती थी

सब कुछ मुझको भाता था
हर बात पर रोना आता था

फिर भी वो बचपन प्यारा था
एक संसार ही न्यारा था  :)


Tuesday, 9 April 2013

Today's grief

When I was a child, parents used to appreciate me for my academic excellence among siblings and I used to get appreciation in the form of chocolates and various gifts.

As time passes, competition increased from siblings to friends and so on and this increment never faced recession. When I passed out school, then the real competition felt among thousands or lacs of students struggling to get admission in some college or the other. Now, that was the real competition, and that make me come out from my comfort zone.

My fate took me to an Engineering college and this was considered as my initiative to took the path less traveled rather never traveled before (no one in my grannies family did engineering or medical science). Now, as an intelligent student, I passed my engineering degree with Honors and became hero and an inspiration to all the kids in the family.

Sometimes, it felt good to be an idol. But when I used to peep out and give the glances to outer world, that used to fright me with constantly increasing competition. But I decided to stand on a position where I could say, "Hey fear, I've defeated you, you're nowhere in my mind or heart. Now you're a loser in front of me" and I went on.

I gave GATE to continue my further studies and with God's grace, was able to qualify on first attempt itself. Friends also started considering me as intelligent friend of theirs. And now when I'm trying to get admission with 7000 All India Rank, I feel more pity that I won't be able to get any of the top ranking institute. This is like you are trying to get a trophy always, but what you get is consolation prize.

I know, everyone says, try harder, you've potential, you can do this, blah blah. But how can one do something beyond their potential. Deeply sad with this truth.