Sunday, 2 March 2014

Bachpan

बचपन भी कितना अच्छा था
जब मैं  छोटा सा बच्चा था

माँ बापू लाड लुटाते थे
सारे बच्चे खूब खिलाते थे

सब के साथ में खेला करते
इसे ही सबको पेला करते

बचपन कितना प्यारा था
सारा संसार ही न्यारा था

जब बच्चे थे तब चाह थी बड़े होने की
अब बड़े हो गये हैं तो बच्चे बनना चाहते हैं

ऐसा क्या जादू था उस बचपन में
परियां क्यूँ सच्ची लगती थी

सब कुछ मुझको भाता था
हर बात पर रोना आता था

फिर भी वो बचपन प्यारा था
एक संसार ही न्यारा था  :)


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