Wednesday, 5 November 2014

बस यूँ ही...

बस यूँ ही आज मन हुआ कुछ लिखने का
किस्से कहानी गढ़ने का 

कितने दिन बीते कुछ लिखा नहीं 
मन को हल्का किया नहीं 

अब रोज ही किस्से होते हैं 
हर रोज कहानी बनती हैं 

राजा किसी और का होता है 
किसी और की रानी होती है 

हर रोज एक नया फ़लसफ़ा लिखा जाता जाता है
हर रोज नए मयखाने खुलते हैं

सवाल तो बस इतना है 
जब अंत नही तो शुरुआत है कैसी 

ना खेलो किसी के ज़ज्बातों से इतना की 
उसके सीने में कोई ज़ज्बात ना रहे 

Play with toys not with feelings

Thursday, 22 May 2014

Quotes

I m cute enough to make u look twice..
Sweet enough but not too NiCe..
Little CRAZY but not too WiLD..,
the kinda GiRl that wil make U SMILE 

Sunday, 2 March 2014

Main

कभी चंचल  शौख़  हसीना 
कभी करती सबको पसीना पसीना 

कभी चिड़िया चेहकी चेहकी  सी 
कभी गुडिया बेहकी बेहकी सी 

पल में सबको हँसाने वाली 
छट से कभी रुलाने वाली 

कभी समझदार सयानी सी 
कभी लगती गुड़िया रानी सी 

लड़ते-लड़ते हसने वाली 
हँसते हँसते खोने वाली 

सबसे घुलने-मिलने वाली 
अकेले मे भी खुश रहने वाली

एक दिन ससुराल को जाउंगी
वहाँ भी ख़ुशियाँ लुटाऊँगी 


Bachpan

बचपन भी कितना अच्छा था
जब मैं  छोटा सा बच्चा था

माँ बापू लाड लुटाते थे
सारे बच्चे खूब खिलाते थे

सब के साथ में खेला करते
इसे ही सबको पेला करते

बचपन कितना प्यारा था
सारा संसार ही न्यारा था

जब बच्चे थे तब चाह थी बड़े होने की
अब बड़े हो गये हैं तो बच्चे बनना चाहते हैं

ऐसा क्या जादू था उस बचपन में
परियां क्यूँ सच्ची लगती थी

सब कुछ मुझको भाता था
हर बात पर रोना आता था

फिर भी वो बचपन प्यारा था
एक संसार ही न्यारा था  :)