Tuesday, 17 May 2016

तुम...

तुम हो तो ऐसा लगता है जीवन में आई बहार है
लगता है जैसे फूलों में भी मधुर गुंजार है

तुम्हारे होने से मेरे जीवन में भरे कई रंग है
मैं खुश हूँ की कोई मेरे भी संग है  

तुम्हारे होने से ही मेरा दिन बन जाता है
तुम नही होते तो दिन भी यूँ ही ढल जाता है

कैसे आये तुम मेरी जिंदगी में मुझे ये तो मुझको पता नही 
लेकिन जाने न दूंगी तुमको भले ही हो जाएँ मुझे खता कईं 

माना की तुम मुझसे अनजान हो 
लेकिन ये समझ लो मेरी जिंदगी में नही तुम कोई मेहमान हो 

जबसे तुम आये हो जिंदगी की बदल गयी तस्वीर है 
मानो कह रही हो देख ले यही तेरी तदबीर है 

मेरे संगीत में नयी रौनक लाये हो तुम
नही पता कौन हो, कहाँ से आये हो तुम 

क्या खुश हो जाऊं मैं की ये तुम ही हो जिसे उसने मेरे लिए ही चुना है 
जिसके धागों के साथ में मेरे दिल का ताना बाना बुना है

तुमसे बात हो जाती है तो सब कुछ अच्छा अच्छा लगता है
जो न हो पाती है बात तुमसे तो कुछ कम कम सा लगता है

जब में तुमसे तुम्हारे हाल चाल जानने के बाद बोखला सी जाती हूँ
तुम से दूर हूँ इसलिए तुम्हारी केयर नही कर पाती हूँ 

तुम को ही तुम को सोचा है , तुम्हारे ही लिए सोचना चाहती हूँ
की कह भी दोगे तुम मुझसे इक दिन , मैं ही तुम्हारी जीवन साथी हूँ

मैं तुम्हारे आँगन की बगियाँ में खुशियाँ ही खुशियाँ बाटूंगी
काटें जितने भी आयेंगे उन सब को भी मैं ही छाटूंगी 

जिस दिन मेरे दम से तुमको एक भी ख़ुशी नसीब हो जाएगी
मैं समझ लुंगी मेरी मेहनत आगे भी रंग लाएगी